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अमेज़न,फ्लिपकार्ट,नोशन प्रेस,पुस्तक बाज़ार और पोथी पर उपलब्ध

पुस्तक चर्चा 

पुस्तक पर अमर उजाला के विचार
दैनिक जागरण ने इसे श्रेष्ठ साहित्यिक कृति माना है

सन 2018 में प्रकाशित इस पुस्तक पर अमर उजाला के विचार

 

My Blogs

घोड़े का अंडा - पुस्तक परिचय

   कवि-लेखक-समीक्षक मुरली मनोहर श्रीवास्तव की ताजा रचना ‘घोड़े का अंडा’ से गुजरते हुए लगता रहा कि मैं वास्तव में नमामि गंगे परियोजना या ऐसी सैकड़ों असफल योजनाओं का कच्चा चिट्ठा पढ़ रहा हूं। मैं नहीं कहता कि लेखक का यही ध्येय रहा होगा, लेकिन प्रकारांतर से भी यदि उसकी ओर इशारा है तो यह मुरली मनोहर श्रीवास्तव की जागरूकता और संवेदनशीलता का बढ़िया उदाहरण है। विभाग कोई भी हो, सरकारी-गैर सरकारी, हर जगह कुछ ऐसी प्लानिंग होती है जो धरातल पर भले नहीं उतरती लेकिन उसका शोर इतना होता है कि पूरे संस्थान के कान बज उठते हैं। ऐसी योजनाओं के निहितार्थ कुछ और होते हैं, उसे प्रदर्शित किसी और तरीके से किया जाता है। उनका क्रियान्वयन चाहे जिस तरीके से हों, परिणाम लगभग तय होते हैं। यह ऐसा रोग है जिससे हमारी संपूर्ण कार्यपद्धति पीड़ित है, इसलिए निष्ठावानों के हिस्से हताशा और बिचौलियों के हाथ बताशा आता है।  रणविजय सिंह सत्यकेतु 

 (साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार ) 

घोडा ब्रांड क्रिकेटर व्यंग्य संग्रह न्यूज चैनल पर

World book fair 2023

A coverage of of my Book "घोडा ब्रांड क्रिकेटर"  by News Channels 

News 24

Aaj Tak

Cricket & Critic 

With Famous Writers and my Friends

लास्ट कॉल - इंसान की जिंदगी बदलता कहानी संग्रह

रोज इस उम्मीद में 

उठता हूँ , 

आज दुनियाँ बदल जाएगी  । 

रोज दुनियाँ बदल जाती है ,

उम्मीद नहीं । 


सब से बड़ा लॉकर

इंसान का दिल है , 

जहां वह

ख्वाबों की जागीर 

सम्हाले बैठा है 


वह दिल ही नहीं है कि जिसमें खूबसूरत दुनियाँ बसा करती है

 

तुम

एक और दुनियां बना लोगे 

तो क्या होगा

तुम्हारे पास 

वो दिल ही नहीं 

जिसमें

दुनियां बसा करती है 

फिर वही

जमीन जायदाद 

और बड़े छोटे के झगड़े होंगे 

जिसे तुम 

एक नई दुनियां का नाम दे दोगे 

वह कभी सिकंदर 

कभी चंद्रगुप्त 

कभी अशोक  

कभी अकबर तो

कभी एलिजाबेथ की सत्ता  होगी 

आगे बढ़े तो 

अमेरिका की डेमोक्रेसी दोगे 

चाइना का कम्युनिज्म 

या  यूरोपियन कंट्री की 

फेक प्रॉस्पेरिटी 

इस धरती की उम्र बदलेगी

दुनियां नहीं  

क्योंकि तुम्हारे पास

वह दिल नहीं है 

जिसमें 

एक खूबसूरत दुनियां  बसा करती है। 

जिंदगी की हकीकत "ख्वाबों की जिंदगी" है दिल छूती किताब

मेरी जिंदगी की दौलत

मेरी जिंदगी की दौलत

मेरी जिंदगी की दौलत

तेरे होंठो की प्यास 

मेरे आंसुओं में डूबी है 

क्या जीने की तमन्ना  

इसी को कहते हैं ।

  मैं टेलिस्कोप लगा 

आसमां में

 कोई तारा  ढूढ़ने नहीं उतारा

 मेरे जिंदगी का ख्वाब

 तेरी पलकों पे जा के ठहरा है। 

  मेरी दौलतों के ठिकाने

बैंक बैलेंस , प्रॉपर्टी और लॉकर में 

नहीं मिलते 

मेरी जिंदगी की दौलत 

 इक तेरी 

मुस्कुराहट में कैद होती है। 

हसरतों का मेला

मेरी जिंदगी की दौलत

मेरी जिंदगी की दौलत

मैं हसरतों को 

तेरे कदमों में छोड़ देता हूँ

  कभी तो तेरी निगाह

आसमां से उतर

 धरती पे मचल जायेगी।


  उतर जाऊंगा किसी रोज 

तेरे जिस्म में  

ख्वाब के मानिंद 

और  पलकों पे 

तेरी नींद ठहर जाएगी ।  


 तेरी आँखों में ख्वाब आएंगे 

जैसे हसरतों का मेला हो , 

मेरी सांस , मेरी धड़कन

 मेरे जिस्म की लहरें 

 हर पल 

तेरे बिस्तर से लिपट के सोते हैं। 

धड़कनों के ख्वाब

मेरी जिंदगी की दौलत

धड़कनों के ख्वाब

मैंने माना

 तुम्हारे दिल ने

 तुम्हें तड़पने से रोक रखा है 

उस से कह दो , 

मेरे जिस्म को

 अपने  अहसास से बाहर कर दे 

 क्यों वो हर रात 

नींद आने से पहले 

मेरा दरवाजा खटखटा देता है। 

 तुम्हारा जिस्म 

अगर इस  तरह 

 खुद को पूरा समझ लेता है 

 तो मेरे सोए हुए जिस्म को

 तुम्हारे दिल की धड़कनें 

थरथराती क्यों हैं 

 क्यों वो धड़कनें 

मेरी धड़कन के

 ख्वाब पूछ जाती हैं । 

यही तो मेरी जिंदगी है

 

किसी ने मेरी जिंदगी को

अधूरी किताब कहा 

और मैं खुश हो गया

अभी मेरी जिंदगी की

आधी किताब 

लिखी जानी बाकी है

मैं खत्म कहां हुआ हूँ ।

किताबों के बारे में कुछ पढ़िये

गुरु गूगल दोऊ खड़े न्यूज पेपर में प्रकाशित व्यंग्य संग्रह है

  

कि जहां

ख्वाब देखना  गुनाह होता है 

कि जहां आसमां की  ऊंचाई 

सिर्फ निगाह की उड़ान भर है 

कि आज भी 

जिस दुनियां में , 

कैद है ,

जंजीर है , 

फैसले और अदालतें हैं , 

उस दुनियां में  ,

मेरे लिए  जीने को क्या बचा है।  


संभवना का अग्रेजी अनुवाद

  

न जाने कितना प्यार किया मैंने 

और अब मैं

 सिर्फ उनकी खोज में हूँ 

जो मुझे प्यार कर सकें 

क्योंकि

अपने तमाम प्यार  के बाद भी 

मुझे जिंदगी में वो लोग नहीं मिले 

जो मुझे प्यार करते हों।

 हो सकता है 

 बहुत से लोग मुझे प्यार करते हों  

और मैं 

उन्हें न जानता हूँ।

 जिन्हें मैं बेइंतहा  प्यार करता हूँ  

वो मुझे प्यार नहीं करते

न जाने क्यों 

यह अहसास बढ़ता जाता है 

क्योंकि 

मुझे लगता है 

उनका प्यार सलेक्टिव है 

मेरी पर्सनालिटीे के 

 सिर्फ उस हिस्से से 

जो उन्हें पसंद है 

क्योंकि 

जब मेरे व्यक्तित्व के हिडेन कैरेक्टर 

अपना अस्तित्व प्रकट करते हैं  

मुझे प्यार करने वाले 

 उस हिडेन चरित्र को देख डर जाते हैं  

घबरा जाते हैं  

जबकि मैं 

अपने व्यक्तित्व की  कमियों के साथ ही

 पूर्ण होता हूँ  

वही मेरा अस्तित्व है

 सिर्फ खूबसूरत दिखाई देता

 चेहरा और चरित्र नहीं । 

काश मैं ऐसा इंजीनियर होता इसे पढ़ कर जज़्बात जिंदा होते हैं

 हसरतें , तमन्ना और ख्वाब 

खिलौने हो गए हैं  

और जिंदगी की हकीकत

 इतनी बड़ी हो चुकी है कि,

  वह इन खिलौनों को

 पहचान जाती है। 

तुम्हें पाना

 

बड़े हो जाना गुनाह नहीं है 

बड़े हो कर अपने  एडोलोसेन्स 

 के अहसास का खो देंना , 

जिंदगी मुश्किल बना देता है।

 तुम्हें देख कर "मैं " 

इस मुश्किल जिंदगी से  

बाहर आ जाता हूँ , 

बस इतनी सी बात है 

तुम्हारी चाहत में , 

जो मुझे 

तुम्हारे साथ बनाये रखती है।

 ज्यादा नहीं 

बस अपने भीतर

 खोये हुए  

एक सच्चे इंसान को खोज लेना ही

 तुम्हें पाना है।  

मैं समंदर से कहने उतरा हूँ - देखो नाराज मत होना इन लहरों से

लहरें

  

समंदर में कहाँ होती  हैं  

 " लहरें " 

 तेरे सीने में ढूँढने निकला हूँ .  

मेरे सीने में थीं

"लहरें " 

ख्वाब  की कहानी

यही तो कहती है . 

 "लहरें "  

 कबूतर के फड़फड़ाने  से उठा करती हैं

  उठती हैं  

 "लहरें " 

तेरी आँखों के ठहर जाने से , 

 "लहरें " 

 उठती हैं ,

तेरे होंठों के लरज़ जाने से , 

लहरों को उठते देखा है , 

 तेरे कदमों के  मचल जाने से ।  

मैंने देखा है लहरों को 

 अपने सीने में उठते 

 बस एक तेरे तड़प जाने से ।    

इंसान के हौसले की कहानी

यह जिंदगी एक पल सही , 

एक दिन सही जितनीं है , 

उतनी ही सही, है तो । 

यह मौत की तरह कम से कम किसी सीक्रेट मिशन की 

यात्रा तो नहीं है  

जो अपना पता तक नहीं देती । 

और इसीलिए

हर इंसान 

तमाम मुश्किलों और अड़चनों के बाद भी 

सदियों से , 

हर बार टूट कर बिखर जाने के बाद भी, 

तुझे जीने का हौसला रखता है । 

उसे पता है 

ज्वार भाटे से उठी लहरों के थमने के बाद 

पहाड़ों पर चट्टानों के फिसलने के बाद ,

ज्वालामुखी के लावे के बहने के बाद 

हर तूफान को एक दिन थम जाना है । 

और जिस दिन 

तूफान थमेगा 

यह जो रुक हुआ वक्त है 

अपने भीतर 

ढेर सारे गुजरे हादसों की कहानी समेन्टे 

उठ खड़ा होगा । 

क्योंकि वक्त का हौसला

 महाभारत , कलिंग 

और पुरू व सिकंदर के युद्ध भी नहीं तोड़ पाए ।

 हां हम लोगों के बीच से ही , 

वे लोग , जो  आगे जाएंगे , 

नए वक्त को ,

 इंसान के हौसले की , कहानी  सुनाएँगे । 


"अधूरी बात" क्या पता इस पुस्तक की अधूरी बात ही पूरी हो

वह जो मुझे लगा

 भले ही ईमानदारी अजायब घर में

रखी हुई कोई चिड़िया हो,

न जाने क्यों मुझे अहसास होंने लगा है,

ढेर सारी जीत , 

जो इस चिड़िया के बिना हासिल होती हैं

वह अधूरी हैं।

और जो हार इस चिड़िया को 

अपने भीतर रख कर मिलती है

वह कींमती 

सुधर तो जाता मगर

 

यहां

ऊपर से ले कर नींचे तक

हर कोई मुझे सुधारना चाहता है,

सिर्फ इसलिए 

क्योंकि  ,

मैं उसकी तरह नहीं,

अपनी तरह 

जिंदगी जी रहा हूँ।

बात सिर्फ इतनी है कि

उसे अपना रास्ता सही और मेरा रास्ता गलत दिखता है,

और फिर अचानक

उसे मेरा रास्ता सही दिखने लगता है लेकिन,

वह अपने रास्ते को गलत कैसे स्वीकार करे,

क्योंकि तब उसे

अपने पूरे जीवन की सार्थकता समाप्त होती दिखाई देगी और बस यहीं

अहंकार जन्म लेता है,

अपने "गलत" खुद को ,

अपने ही भीतर ,

सही सिद्ध करने के लिए।

अब इस अहंकार को पूर्ण करने में ,

भले ही ढेर सारे

 निर्दोष मार दिए जाएं।

क्योंकि 

एक बार अपनी  निगाह में ,

"निर्दोष" व्यक्ति सही साबित हो गए तो ,

अपने भीतर ,

स्वयं के   दोषी होंने के विचार को  स्वीकृति प्रदान करनी होगी ,

और तब 

"आत्मग्लानि" से 

बचने का मार्ग नहीं होगा। 

जीत गए तुम - यह किताब हार कर जीतने का हुनर बताती है

ज़िदगी जीने का ख्वाब

मेरे भीतर 

अपने होंने 

और सांस लेने की 

उम्मीद जगा दो ,

मैं एक बार फिर 

जिंदगी जीने का 

"ख़्वाब " 

देखने निकला हूँ ।  

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कभी कभी

इक तमन्ना

  

इक तमन्ना 

जो उठती है 

तुझे पाने की

 मेरे कहने से आगे निकल जाती है 

छू लेती है तेरे होंठ पी लेती है नशा तेरी आँखों का

 डूब जाती है तेरे बदन की खुशबू में

 ढूढती है कस्तूरी गन्ध 

 तेरी साँसों को थाम लेती है 

एक तमन्ना जो उठती है  तुझे पाने को

 मुझे सिर्फ वो कहां रहने देती है जो मैं हूँ , 

और तब तुम भी तो वही नहीं रहते  जो अमूमन हुआ करते हो ,

 क्योंकि तब  बदल जाता है तुम्हारा चेहरा 

उठती है लाली तुम्हारे गालों पर 

 बढ़ जाती है दिल की धड़कन 

 कुछ लफ्ज आते हैं होठों तक

 और होंठ बस फड़फड़ा के ठहर जाते हैं

  एक तमन्ना जब  उठती है  मुझे पाने की। 


हम जिंदगी से बहुत कुछ कहते हैं , ज़िंदगी जो कहती है वह सुनिए

इतना आसान नहीं है अपने दिल की आवाज सुन लेना

  

कवि


मदिरा के उफान को

धधकती हुई भट्ठी पर

उसके उतरने और ठंडा होंने से पहले ही पी सको

तो समझो , किसी कविता को जिया है तुमने , उस विशेष क्षण में

और ऐसे ही क्षणों को मिला कर , जीवन बना सको , तो समझो , किसी कवि को जन्म दिया है तुमने ,

हाँ ,  इसके बाद भी तुम कवि के निर्माता नहीं हो 

जन्म देने और निर्माण करने में फर्क होता है 

हाँ तुम महुए के उस वृक्ष की तरह हो ,  जिसे खुद भी मदिरा की तासीर का दर्द नहीं पता ,

एक कवि तासीर होता है सिर्फ तासीर

न कड़ाहे को पता है , न भट्ठी को और न ही महुए को ,

कि उस ने उबाल कर बनाया क्या है ।

यहाँ तक कि शराबी को भी मदिरा की तासीर का दर्द नहीं पता होता 

अभी तो जीना शुरू किया है- नई जिंदगी की किताब

पुस्तकें प्राप्त करने का लिंक

मुझे मारना हो तो

 AK 47 ले कर आना  और 

टेररिस्ट की तरह गोली मारना 

ऑफिशियल 

मेन्टल टॉर्चर 

झेलने के बाद 

अब मेरे भीतर  

रिवाल्वर से 

न मरने की  

इम्युनिटी पैदा हो गई है । 


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