Murli Manohar Srivastava Better Known as Murli Srivastava Born in Allahabad- Famous for Sangam and Maha Kumbh in India. A world famous place of intellectuals , Great writers and prominent leaders. On 18th May 1964. Well recognized in Hindi Writers More than one thousand articles has been published in all leading news papers and magaz
Murli Manohar Srivastava Better Known as Murli Srivastava Born in Allahabad- Famous for Sangam and Maha Kumbh in India. A world famous place of intellectuals , Great writers and prominent leaders. On 18th May 1964. Well recognized in Hindi Writers More than one thousand articles has been published in all leading news papers and magazines of Hindi. Including -Navbharat Times, Amar Ujala ,Dainik Jagran, Rashtriya Sahara, National Duniya. Coming to magazines - Best and highest selling magazine of India - Meri Saheli ( More than one crore copies sold every month.) , Jagran Sakhi , Vanita & Grahlakshmi Book " Sambhavana has been rated among st top poetry books published in year 2018. This book got out of stock more than 3 times on flip cart. It's poetic translation by Deepak Danish is available on kindle. Till Now 12 Books has been published. Views of Famous writers and readers about Murli Srivastava मुरली श्रीवास्तव के बारे में कुछ प्रसिद्ध लेखकों व पाठकों के विचार - परसाई जी की एक कहानी में पाँच छः व्यंग्य होते थे , तुम्हारा पूरा व्यंग्य ही कहानी बन जाता है । बहुत बढ़िया लिखते हो , ऐसे ही लिखते रहे तो एक दिन परसाई जी को पीछे छोड दोगे , यह मैं कहने के लिए नहीं सचमुच कह रहा हूँ । रमेश पाण्डेय (SDM - उप प्रभागीय न्यायाधीश - देवली , सागर मध्य प्रदेश ) ------------------------------------------------------------------------------------ गज़ब लिखेँ हैं साहब , तब से इहै पढ़ रहे हैं , अइसन किताब तो आज तक नाहीं पढे रहे - पप्पू लाल एक सामान्य सरल पाठक जो बस दिल से बात करते हैं । सुलमई धरवारा करछना , प्रयाग राज. ---------------------------------------------------------------------------------------------------- चूंकि इन पंक्तियों के लेखक को कवि के व्यंग्यों से गुजरने का अनुभव ज्यादा है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि उनकी रचनाओं में व्याप्त जटिलताएं कई बार सायास होती हैं। कविता समझने के बजाय अनुभव करने की चीज अधिक है। उसका वास्ता हृदय से है, मस्तिष्क से नहीं। कल्लोल चक्रवर्ती ( संपादकीय मण्डल - अमर उजाला ) ------------------------------------------------------------------------ आप मुरली बाबू की कवितायेँ पढ़ेंगे तो पाएंगे की उनका मन अंधेरी निम्न कक्षा के रहवासियों के साथ ज्यादा सुकून पाता है । उनके दुख दर्दों के लिए ज्यादा सुकून पाता है । विसंगतियों के घटाटोप में विडंबनाओं के कारुणिक दृष्य हैं , ये माना पर जरूरी नहीं उस में उलझ कर रह जाना । मुरली मनोहर की कवितायें कष्टों के कुहासे में आपको घुमाने के बाद रोशनी के द्वीप की ओर आपको इशारा करती मिलेंगी । इन कविताओं को पढ़िये नहीं इनसे मिलिये । अशोक चक्रधर ( वर्तमान युग के मूर्धन्य साहित्यकार ) ---------------------------------------------------------------------------------------------------- मुरली श्रीवास्तव एक ऐसे व्यंग्यकार के तौर पर सामने आए हैं जिन्होंने व्यवस्था की विद्रूपताओं पर निशाना साधने के साथ-साथ स्वयं पर ही व्यंगात्मक प्रहार करने से भी कोई परहेज नहीं किया। इसी स्वनिंदा या स्वयं पर हंस सकने की क्षमता ने उनके लेखन में धार पैदा की है। उन्होंने विसंगतियों के बीच पीस रहे आम आदमी की दुख-दर्द को जीवंतता के साथ अपनी रचनाओं में अभिव्यक्ति दी है। साथ ही पाठकों को किसी भी घटना को देखने का एक नया नजरिया दिया है। उनकी निगाह स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर रहती है।इस संग्रह की कई रचनाओं में बहुत ही सूक्ष्म प्रतीक छिपे हैं जिन्हें पाठक सहज ही पकड़ सकते हैं। गुरमीत बेदी ( प्रसिद्ध व्यंग्यकार व उपनिदेशक हि. प्र. प्रेस सम्पर्क कार्यालय ) ------------------------------------------------------- मुरली जी की पुस्तक " सम्भावना" सन 2018 में "कोमल कान्त पदावली" में लिखी गई एक श्रेष्ठ रचना है । प्रांजल धर - प्रसिद्ध समीक्षक - साहित्यिक पत्रिका लमही से ------------------------------------------------------------------ समाज का दर्पण प्रायः कहा जाता है कि साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब होता है। इसे दूसरे ढंग से कहें तो लेखक का हृदय और उसकी मानसिकता समाज का दर्पण होते हैं। हृदय से संवेदना और मानसिकता से तर्क की जो धाराएँ बहती हैं, उनका संगम साहित्य है। क्योंकि किसी भी व्यक्ति की संवेदनशीलता और मानसिकता उसके निजी अनुभवों और परिवेश से बनतीं हैं, इसीलिए एक ही समाज में रहते हुए लेखकों के लेखन में भिन्नता होती है। प्रत्येक लेखक की लेखनी से अलग रंग की स्याही निकलती है और उसी रंग से पन्नों पर शब्द उभरते हैं। मुरली श्रीवास्तव का भी अपना एक अलग ही रंग है। मुरली जी को बहुत पुराने समय से जानता हूँ, क्योंकि शायद वह साहित्य कुञ्ज के प्रकाशन आरम्भ होने के समय से ही जुड़ गए थे। वह समय उनके और मेरे लिए साहित्य की यात्रा का शायद पहला पड़ाव रहा होगा। उन दिनों वह जो भी लिख रहे थे, मुझे और साहित्य कुञ्ज के पाठकों को अच्छा लगता था। उनकी कहानियों, व्यंग्यों और संस्मरणों में एक सहज संवेदना दिखाई देती थी जो पाठक को अपनी लगती थी। आज “क्षमा करना पार्वती” कहानी संकलन ई-पुस्तक के रूप में आपके समक्ष है। इसको पढ़ने के बाद मेरे मन में यही विचार आता है कि मुरली श्रीवास्तव की संवेदनात्मक लेखनी की स्याही का रंग समय के साथ गहरा हो गया है। व्यक्ति की मानसिकता की समझ और उसकी अभिव्यक्ति की सफलता इस कहानी संकलन को एक अलग श्रेणी में खड़ा कर देती है। मुरली श्रीवास्तव जिस परिवेश में जीते हैं, उसी को लिखते हैं। इस संकलन की सारी कहानियाँ आज की हैं, बीते हुए कल की नहीं। - सुमन कुमार घई, सह-संस्थापक निदेशक हिन्दी राइटर्स गिल्ड संपादक एवं प्रकाशक sahityakunj.net मिसिसागा, कैनेडा ----------------------------------------
मुझे आश्चर्य तब हुआ था जब "मुरली की दुनियाँ " को बस कुछ ही दिनों में Google सर्च पर इसे बेस्ट ब्लाग्स फ्राम बेस्ट ब्लागर्स के रूप में देखा । यह छोटी सी घटना मुझे रोमांचित कर गई । जैसा की मैंने लिखा , लिख तो तीस वर्षों से रहा था । प्रिंट मीडिया में निरंतर ही कुछ न कुछ प्रकाशित होता रहता था । इन रचनाओं को किताब के रूप में रखने पर सात किताब
मुझे आश्चर्य तब हुआ था जब "मुरली की दुनियाँ " को बस कुछ ही दिनों में Google सर्च पर इसे बेस्ट ब्लाग्स फ्राम बेस्ट ब्लागर्स के रूप में देखा । यह छोटी सी घटना मुझे रोमांचित कर गई । जैसा की मैंने लिखा , लिख तो तीस वर्षों से रहा था । प्रिंट मीडिया में निरंतर ही कुछ न कुछ प्रकाशित होता रहता था । इन रचनाओं को किताब के रूप में रखने पर सात किताबें बन गईं थीं लेकिन अचानक यह इलेक्ट्रानिक मीडिया वर्चुअल वर्ल्ड पर इस तरह आ जाना मेरी कल्पना से परे था । हाँ इस बहाने मुझे इस वर्चुअल वर्ल्ड की शक्ति , इसकी सच्चाई और इस माध्यम से लोगों से जुडने का अहसास हुआ । मैं अन्जाने ही इस माध्यम से बंध गया । क्या है इस ब्लागिंग में , कुछ खास तो नहीं बस अपने विचार रोजमर्रा की जिंदगी का अपने नजरिए से लेखा जोखा और वह मेरे मित्रों को पसंद आने लगा । यह ब्लाग्स अचानक नई दुनियां में दस्तक देने लगे । लोगों के दिल को छूने लगे । क्या कहूँ इसे , माँ सरस्वती की कृपा , अपने आराध्य साईं बाबा का प्रसाद , परमात्मा का वरदान । लोगों की प्रतिक्रिया भी ऐसी कि आँख नम हो जाये । लोग इन आख्यानों के साथ हंसने और रोने लगे । मुझे पढ़ कर बताने लगे कि पढ़ते हुये हमें होश ही नहीं रहता कि कब पढ़ना शुरू किया और कब रचना पूरी हो गई । वह तो जब रचना खतम हुई तब होश आया । मेरी आँखों के सामने इन ब्लाग्स को पढ़ कर लोगों के रोंगटे खड़े होने लगे । मैं परमात्मा के सामने नतमस्तक हो गया । तब मुझे विश्वास होंना शुरू हुआ कि मैं परमात्मा के दिये हुए आदेश को पूरा कर रहा हूँ
अपने ख्वाबों की जिंदगी तो सभी जीते हैं , जिंदगी तो वह है जो किसी का ख्वाब हो जाये । दिल्ली में रहते हुये सन 1988 से लिख रहा हूँ । यह सफर देश के सभी पत्र पत्रिकाओ से गुजरते हुये आज यू ट्यूब और NBT के नियमित ब्लाग्स के माध्यम से यहाँ तक आ पहुंचा है । नवभारत टाईम्स , हिंदुस्तान दैनिक , अमर उजाला , राष्ट्रीय सहारा , दैनिक जागरण , मेरी सहेली ,
अपने ख्वाबों की जिंदगी तो सभी जीते हैं , जिंदगी तो वह है जो किसी का ख्वाब हो जाये । दिल्ली में रहते हुये सन 1988 से लिख रहा हूँ । यह सफर देश के सभी पत्र पत्रिकाओ से गुजरते हुये आज यू ट्यूब और NBT के नियमित ब्लाग्स के माध्यम से यहाँ तक आ पहुंचा है । नवभारत टाईम्स , हिंदुस्तान दैनिक , अमर उजाला , राष्ट्रीय सहारा , दैनिक जागरण , मेरी सहेली , जागरण सखी सहित सभी पत्र पत्रिकाओं का धन्यवाद कि उन्होने अपने पन्ने पर मुझे स्थान दे कर लाखों लोगों तक पहुंचाया । पुस्तक बाजार , किंडल , पोथी और नोशन प्रेस का आभार मेरी पुस्तकों को प्रकाशित करने के लिए ।
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